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जलवायु परिवर्तन से प्रभावित गरीब देशों के वित्त पोषण पर अंतिम बैठक संपन्न…

जलवायु परिवर्तन से प्रभावित गरीब देशों के वित्त पोषण पर अंतिम बैठक संपन्न…

बेंगलुरु, 06 नवंबर वैश्विक तापमान में वृद्धि से सबसे अधिक प्रभावित गरीब देशों की मदद करने के लिए स्थापित अंतरराष्ट्रीय निधि पर अंतिम बैठक में तनावपूर्ण बातचीत शनिवार को अबू धाबी में खत्म हुई और बैठक में भाग लेने वाले लोगों ने इस बात पर सहमति जतायी कि विश्व बैंक अगले चार साल के लिए अस्थायी रूप से इस निधि की निगरानी करेगा।

अमेरिका और कई विकासशील देशों ने समझौते के मसौदे पर निराशा जतायी है जिसे इस महीने दुबई में होने वाली सीओपी28 जलवायु शिखर वार्ता में हस्ताक्षर के लिए वैश्विक नेताओं के पास भेजा जाएगा।

अबू धाबी में बातचीत में शामिल हुए अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने एक बयान में कहा कि उन्हें ‘‘कोई समझौता होने की खुशी है’’ लेकिन इस बात का खेद है कि कोष में दान स्वैच्छिक रूप से देने के लिए वार्ताकारों के बीच बनी सहमति अंतिम समझौते में दिखायी नहीं दी।

समझौते में निधि के इस्तेमाल के लिए बुनियादी लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है जिसमें 2024 में इसकी शुरुआत और इसे कैसे लागू किया जाएगा और कौन इसकी निगरानी करेगा जैसी बातें शामिल हैं।

बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली के जलवायु वित्त पोषण पर विशेष दूत अविनाश परसौद ने कहा कि यह समझौता ‘‘चुनौतीपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण परिणाम था।’’ परसौद ने बैठकों में लातिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों की तरफ से बातचीत की। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी समझौते पर पहुंचने में विफलता का ‘‘सीओपी पर लंबा प्रभाव’’ पड़ेगा।

मिस्र के प्रमुख वार्ताकार मोहम्मद नासिर ने कहा, ‘‘यह कुछ उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम है, खासतौर से वित्त पोषण के पैमाने और स्रोत तथा विकासशील देशों द्वारा चुकायी कीमत की स्वीकृति।’’

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के 30 साल पहले शुरू होने के बाद से ही जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित गरीब देशों की मदद के लिए कोष स्थापित करने की मांग प्रमुख रही है और मिस्र में पिछले साल हुए जलवायु सम्मेलन में अंतत: इसे स्वीकार किया गया। इसके बाद से अमीर और विकासशील दोनों देशों के वार्ताकारों का एक छोटा-सा समूह कोष के विवरण को अंतिम रूप देने के लिए कई बार मुलाकात कर चुका है।

सियासी मियार की रेपोर्ट