आसाराम बापू जोधपुर जेल लौटे, कोर्ट ने नहीं बढ़ाई अंतरिम जमानत…

जोधपुर, 30 अगस्त यौन उत्पीड़न के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू शनिवार को जोधपुर सेंट्रल जेल लौट आए। उन्होंने अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद उन्हें जेल वापस जाना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, आसाराम को कोर्ट ने पेरोल और अंतरिम जमानत दी थी। इस दौरान वह जेल से बाहर रह रहे थे। हालांकि, अब उनकी ओर से लगाई गई अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
इससे पहले, गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम को अंतरिम जमानत दे रखी थी, जिसके आधार पर वह कुछ समय से जेल से बाहर थे। लेकिन, राजस्थान हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब उन्हें दोबारा जेल में ही रहना होगा।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2013 में एक 16 वर्षीय लड़की ने आसाराम पर राजस्थान के जोधपुर के पास अपने आश्रम में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। पीड़िता के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके कारण 31 अगस्त, 2013 को आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद, अप्रैल 2018 में, जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम को नाबालिग के बलात्कार के लिए दोषी ठहराया, और उसे भारतीय दंड संहिता, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अक्टूबर 2013 में और आरोप सामने आए जब सूरत की एक महिला, जो कि एक पूर्व शिष्या हैं, ने आसाराम पर अहमदाबाद के मोटेरा में अपने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच बार-बार यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
इसके बाद एक और कानूनी मामला सामने आया, जिसका समापन जनवरी 2023 में हुआ जब गांधीनगर की एक अदालत ने आसाराम को बलात्कार के लिए दोषी ठहराया, जो इस तरह के आरोपों पर उनकी दूसरी सजा थी। इन सजाओं के अलावा, आसाराम के बेटे नारायण साईं पर भी इसी तरह के आरोप लगे।
2013 में सूरत की दो बहनों ने आरोप लगाया कि आसाराम और नारायण ने 2000 के दशक के मध्य में उनका यौन उत्पीड़न किया था। बड़ी बहन ने आसाराम पर आरोप लगाया, जबकि छोटी बहन ने नारायण पर 2002 से 2005 के बीच सूरत आश्रम में हमले का आरोप लगाया।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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