जगन्नाथ मंदिर में अवैध निर्माण के आरोप वाली याचिका पर न्यायालय शुक्रवार को सुनाएगा आदेश…

नई दिल्ली, 02 जून । उच्चतम न्यायालय ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में राज्य सरकार द्वारा अवैध निर्माण किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर शुक्रवार को आदेश सुनाएगा। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति हीमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह पक्षकारों के वकीलों द्वारा दलीलें पूरी किए जाने के बाद अपना आदेश सुनाएगी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने कहा कि एक स्पष्ट प्रतिबंध है कि निषिद्ध क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं हो सकता, लेकिन राज्य सरकार ने निर्माण की अनुमति तक नहीं ली।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त किया और निर्माण शुरू कर दिया। पावनी ने कहा कि एनएमए वैध प्रमाण पत्र नहीं दे सकता और यह केवल केंद्र या राज्य सरकार से संबंधित पुरातत्व निदेशक द्वारा ही दिया जा सकता है। वहीं, ओडिशा के महाधिवक्ता अशोक कुमार पारिजा ने कहा कि प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम के तहत प्राधिकरण एनएमए है, और ओडिशा सरकार के संस्कृति निदेशक को सक्षम प्राधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि 60 हजार लोग प्रतिदिन मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं, जिनके लिए अधिक शौचालयों की आवश्यकता है।
पारिजा ने कहा, ‘‘मामले में न्याय मित्र ने इस बात का उल्लेख किया था कि अधिक शौचालयों की जरूरत है तथा अदालत ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे।’’ शीर्ष अदालत मंदिर में ओडिशा सरकार द्वारा अवैध उत्खनन और निर्माण किए जाने के आरोपों वाली अर्धेंदु कुमार दास और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है कि राज्य की एजेंसियां प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 20 ए का घोर उल्लंघन कर रही हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि ओडिशा सरकार अनधिकृत निर्माण कार्य कर रही है जो प्राचीन मंदिर की संरचना के लिए एक गंभीर खतरा है।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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