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पंजाब, हरियाणा बार काउंसिल ने चंडीगढ़ के वकील के आवास पर एनआईए के ‘छापे’ की निंदा की..

पंजाब, हरियाणा बार काउंसिल ने चंडीगढ़ के वकील के आवास पर एनआईए के ‘छापे’ की निंदा की..

चंडीगढ़, । आतंकवादियों, गैंगस्टर और मादक पदार्थ तस्करों के बीच ‘उभरती सांठगांठ’ की जांच के क्रम में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा एक वकील के आवास पर मारे गए कथित छापे की पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल ने मंगलवार को निंदा की।

शैली शर्मा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय तथा यहां की जिला अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। वह कुछ गैंगस्टर और अपराधियों की वकील रही हैं।

शर्मा के आवास-सह-कानूनी कार्यालय पर कथित छापेमारी के बाद बार काउंसिल ने एनआईए के महानिदेशक को पत्र लिखा।

एनआईए ने मंगलवार को आतंकवादियों, गैंगस्टर और मादक पदार्थ तस्करों के बीच ‘उभरती सांठगांठ’ की जांच के क्रम में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश स्थित विभिन्न कुख्यात गैंगस्टर के आवासों सहित 50 स्थानों पर छापेमारी की।

शर्मा ने यहां पत्रकारों से कहा कि एनआईए की एक टीम ने मंगलवार सुबह उनके आवास पर ‘छापेमारी’ की।

उन्होंने दावा किया कि एनआईए की टीम ने उनके कमरे, लैपटॉप और कुछ दस्तावेजों की जांच की तथा वह उनके दो मोबाइल फोन भी ले गई।

वकील के खिलाफ एनआईए की कथित छापेमारी की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय तथा जिला अदालत के कई वकीलों ने निंदा की।

पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के अध्यक्ष सुवीर सिद्धू ने एनआईए को लिखे पत्र में कहा कि जांच एजेंसियों से निष्पक्ष और संवैधानिक मानदंडों के अनुरूप काम करने की उम्मीद की जाती है।

पत्र में कहा गया, ‘लेकिन एक प्रमुख एजेंसी द्वारा आधारहीन आधार पर ऐसी छापेमारी (वकील के घर पर) इस तरह की ‘पुलिस ज्यादतियों’ को दर्शाती है। जिस आधार और तरीके से ये छापे मारे गए, वह पूरे वकील समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है।’

उन्होंने कहा, ‘अधिवक्ताओं को विशेष वकील-मुवक्किल विशेषाधिकार के तहत छूट प्राप्त है और प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद के वकील के माध्यम से अपने कानूनी उपायों को आगे बढ़ाने का अधिकार है।’

सिद्धू ने लिखा, ‘एनआईए इस तरह से एक वकील के आवास-सह-कानूनी कार्यालय पर छापा नहीं मार सकती और विशेषाधिकार संचार को नहीं देख सकती, जैसा कि इस मामले में किया गया है, जिसमें फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं।’

पत्र में कहा गया कि इस तरह की छापेमारी के बारे में समझा जा सकता है कि इसे केवल आरोपियों, पीड़ितों या दोषियों की ओर से वकीलों को मामले को आगे बढ़ाने से रोकने और डराने के लिए जानबूझकर अंजाम दिया गया।

सिद्धू ने कहा कि बार काउंसिल ने इस तरह की ‘‘असंवैधानिक’’ और ‘‘निंदनीय’’ कार्रवाई को बहुत गंभीरता से लिया है।

उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘काउंसिल आपसे अनुरोध करती है कि इस तरह के कार्यों की तुरंत निगरानी करें, उचित कार्रवाई करें और कानूनी बिरादरी के अधिकारों, गरिमा तथा गौरव को बहाल करें, जिसका गहरा उल्लंघन किया गया है।’’

सियासी मीयार की रिपोर्ट