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द्विभाषीय एवं बहुभाषीय शिक्षा पद्धति हमारे देश के लिए बहुत कारगर : डॉ. अरुणा व्ही वाणीकर..

द्विभाषीय एवं बहुभाषीय शिक्षा पद्धति हमारे देश के लिए बहुत कारगर : डॉ. अरुणा व्ही वाणीकर..

इंदौर, 13 नवंबर। भविष्य के चिकित्सकों को संवेदना का पाठ पढ़ाने की आज अत्यधिक आवश्यकता है। भारतीय भाषाओं में मेडिकल की शिक्षा की अनुशंसा ने वर्तमान में उन सभी के लिए इस दिशा में नए द्वार खोल दिए हैं जिनके लिए कभी भाषा जानने की बाध्यता रुकावट बनकर उभरती रही है, इसलिए द्विभाषीय एवं बहुभाषीय शिक्षा पद्धति आज हमारे देश के लिए बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। यह कहना है मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) भारत सरकार की अध्यक्ष डॉ. अरुणा व्ही वाणीकर का।

उन्होंने आयोजन में अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक अनुभवों को साझा करते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा चिकित्सा शिक्षा के हित में किये जा रहे अभूतपूर्व निर्णयों के बारे में जानकारी दी। शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए डॉ. वाणीकर ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को आर्टिकल, शोधपत्र इत्यादि लिखने पढ़ने के लिये प्रेरित किया।

कोरोना योद्धा सम्मानित-

उक्त उद्घाटन सत्र में कोरोना काल में चिकित्सकीय एवं फ़ार्मा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले हेल्थ साईंस क्षेत्र से जुड़े कुछ विभूतियों का सम्मान किया गया, जिनमें सुरेन्द्र सिंह भदौरिया, डॉ. अनिल खरया, मयंकराज सिंह भदौरिया, डॉ. मोहक भंडारी, डॉ. नीरज सेन एवं डॉ. प्रमेंद्र सिंह ठाकुर शामिल हैं।

मेडीविजन संगठन के बारे में उल्लेखनीय है कि मेडीविजन-स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक दृष्टि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का एक अखिल भारतीय मंच है जो मेडिकल और डेंटल छात्रों को उनकी शिक्षा के बारे में सोचने के लिए, उन्हें सक्रिय होने और बोलने के लिए चुनौती देने के लिए, सामाजिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए है। यह मेडिकल और डेंटल छात्रों के बीच और उन्हें दृष्टि देने के लिये कार्य करता है। मेडीविजन नीतियों के मुद्दों में हस्तक्षेप करता है और मेडिकल/डेंटल छात्रों के मुद्दों को भी उठाता है।

देश भर में मेडिकल और डेंटल क्षेत्र के विद्यार्थियों द्वारा पिछले 10 वर्षों से मेडीविजन का काम पूरे देश में सुचारू ढंग से चल रहा है। जिसके तहत सैकड़ों आयोजन किए देश भर में चिकित्सा और दंत स्वास्थ्य शिविर, अनुभूति-ग्रामीण इंटर्नशिप कार्यक्रम इत्यादि किया गये हैं। मेडीविजन के स्वयंसेवकों ने बाढ़, भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान लोगों की सेवा की, विभिन्न शैक्षणिक कार्यशालाओं, सेमिनारों का आयोजन किया और कोविद -19 महामारी के दौरान स्वयंसेवकों ने हजारों लोगों को ऑनलाइन परामर्श प्रदान किया। देश भर के लोगों की सेवा की संकल्प साधे आगे बढ़ते रहे।

उद्धाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल मेडिकल कमीशन भारत सरकार की अध्यक्ष डॉ. अरुणा व्ही वाणीकर के अलावा विशेष अतिथि के रूप में देश के जाने माने चिकित्सक डॉ. एस. सुब्बय्या जी उपस्थित रहे। साथ ही अधिष्ठाता एमजीएम चिकित्सा महाविद्यालय डॉ. संजय दीक्षित, मेडीविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. विरेंद्र सिंह सोलंकी एवं मेडीविजन इंदौर की सिमरन कौर भी उपस्थित रहीं। मेडीविजन मेडिकल और डेंटल स्टूडेंट्स के बीच अखिल भारतीय स्तर पर कार्य कर रहा है।मेडीविजन छठे राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय संक्रमण चुनौतियों और अवसरों में चिकित्सा शिक्षा है।

“संक्रमण काल में चिकित्सा शिक्षाः चुनौतियाँ एवं अवसर में विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रथम दिवस विभिन्न मेडिकल शिक्षा एवं दंत चिकित्सा शिक्षा से संबंधित तकनीकि सत्र आयोजित हुए जिसमें विशेषज्ञों ने प्रतिभागी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। आज और कल मिलाकर मेडीविजन राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न अनुसंधान और नवीन गतिविधियों और कार्यक्रमों, तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें रोल मॉडल सत्र, वैचारिक सत्र, नैदानिक कार्यशाला सत्र, पेपर प्रस्तुति, पोस्टर प्रस्तुतिकरण चिकित्सा और दंत चिकित्सा शिक्षा में संकल्प और क्रांति को समझने के लिए आदि प्रमुख हैं। नौ विभिन्न सत्रों में आयोजित होने वाली इस मेडीविजन के 6वें नेशनल कांफ्रेंस के मीडिया प्रमुख डॉ.पुनीत कुमार द्विवेदी (महानगर अध्यक्ष) और सह-प्रमुख कृष्णपाल सिंह यादव (मालवा प्रांत कार्यालय मंत्री) ने बताया कि देशभर के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों से मेडिकल एवं डेंटल के लगभग 500 विद्यार्थी इस सम्मेलन में सहभागिता दर्ज कर रहे हैं।

कार्यक्रम में अन्य गणमान्य अतिथियों में प्रफुल्ल आकांत, बालकृष्ण, निलेश सोलंकी, विनीत नवाथे, आशीष जादूम, योगेश रघुवंशी, डॉ. सचिन शर्मा, डॉ. सौरभ पारिख, डॉ. विश्वास व्यास,डॉ. जितेंद्र तलरेजा, डॉ. मनीष दुबे, घनश्याम सिंह, पुनीत धनोतिया, लक्की आदिवाल उपस्थित रहे।

सियासी मियार की रिपोर्ट