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उत्तराखंड : बद्री-केदार समिति के अध्यक्ष ने कर्मचारी की वरिष्ठता की जांच को मुख्य सचिव को लिखा पत्र..

उत्तराखंड : बद्री-केदार समिति के अध्यक्ष ने कर्मचारी की वरिष्ठता की जांच को मुख्य सचिव को लिखा पत्र..

-समिति के चतुर्थ श्रेणी कार्मिक से राजपत्रित अधिकारी बनने का विवादित मामला

देहरादून, । उत्तराखंड श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के उच्चाधिकारी पद तक पहुंचे वरिष्ठता का विवाद गहराता जा रहा है। इस संदर्भ में मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर न्याय, वित्त एवं कार्मिक की समिति बनाकर मामले के निस्तारण करने का आग्रह किया है।

इससे पूर्व मंदिर समिति के कुछ प्रमुख लोगों ने मुख्य कार्याधिकारी को छह पदाधिकारियों ने एक पत्र लिखकर उक्त कर्मचारी की योग्यता की जांच कराने की मांग की है। मुख्य कार्याधिकारी को लिखे इस पत्र में राकेश सेमवाल, ओएसडी बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सेवा संवर्ग की जांच कराने की मांग की गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में मंदिर समिति के एक्ट की धज्जियां तक उड़ा दी गयीं हैं। एक्ट के मुताबिक पद व वेतनमान स्वीकृत करने का अधिकार शासन के पास है। इसके बावजूद मंदिर समिति ने अपने स्तर से ही राकेश सेमवाल को उच्चीकृत वेतनमान दे डाला। अंधेरगर्दी का आलम देखिये कि उच्चीकृत वेतनमान देने के साथ ही वैतनिक और पदीय लाभ के रूप में लाखों रुपये का एरियर भी पिछली तिथि से दे दिया गया। यही नहीं वर्ष 2018 में सारे नियम कानूनों को ताक पर रख कर सेमवाल को 5400 का ग्रेड पे दे दिया गया। इसके लिए भी शासन से कोई स्वीकृति नहीं ली गयी।

राकेश सेमवाल की सेवा एवं एसीपी संबंधी लाभों का निस्तारण शासन द्वारा नियुक्त वित्त नियंत्रक मुख्य कार्याधिकारी देवस्थानम बोर्ड एवं श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से गठित उप समिति के माध्यम से निस्तारित किया गया है। इसकी जानकारी राकेश सेमवाल को दी जा चुकी है। राकेश सेमवाल पूर्व से शासन में पत्राचार कर रहे हैं और मंदिर समिति के विरुद्ध विधिक नोटिस देते हुए अनुतोषों की मांग करते हुए अनुचित दबाव बना रहे हैं।

इस पत्र में कहा गया है कि राकेश सेमवाल वर्ष 1996 में सीजनल अनुचर एवं चौकीदार के पद पर कार्यरत थे। 19 दिसम्बर 1972 को उनकी नियुक्ति व्यवस्थापक/अवर लिपिक पद पर हुई। मंदिर समिति के 21 मार्च 2004 के प्रस्ताव पर व्यवस्थापक के दो पदों का सृजन किया गया, जिसमें उन्हें पांच हजार, 8 हजार रुपये की स्वीकृति की गई। बाद में राकेश सेमवाल को व्यवस्थापक का उच्चीकृत वेतनमान 3 जुलाई को स्वीकृत हुआ किन्तु वैतनिक लाभ 1997 से 2004 से दिया गया जबकि राकेश सेमवाल इंटरमीडिएट उत्तीर्ण हैं और कभी भी विशेष कार्याधिकारी पद पर नियुक्त नहीं किए गए। उनकी ओर से निरंतर मुख्य कार्याधिकारी पद की मांग की जा रही है।

इस संदर्भ में अब मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कड़ा निर्णय लिया है। मुख्य सचिव को भेजे गए 14 नवंबर के अपने पत्र में अजेन्द्र अजय ने लिखा है कि सुरेन्द्र सिंह नेगी अनुसचिव संस्कृति धर्मस्व के पत्र का संदर्भ लें। गत 10 अक्टूबर 2022 को भेजे गए इस पत्र में राकेश सेमवाल की वरिष्ठता तथा एसीपी का विवाद मुख्य कार्याधिकारी को प्रेषित नोटिस का संज्ञान लेते हुए अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा गया है।

शासन के इस पत्र के क्रम में मुख्य कार्याधिकारी श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा पत्र में अवगत कराया गया है कि पूर्व में राकेश सेमवाल को सभी कार्यवाहियों से अवगत कराया जाता रहा है। ऐसे में उनके द्वारा नोटिस भिजवाया जाना और पत्राचार किया जाना कामकाज में गतिरोध का कारक हो सकता है। बद्री-केदार समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने इस मामले पर तत्काल कार्मिक, न्याय और वित्त विभाग की एक संयुक्त समिति गठित कर प्रकरण का समुचित परीक्षण की मांग की है।

सियासी मियार की रिपोर्ट