Monday , September 23 2024

मल्लिकार्जुन खडगे ने राज्यसभा में कहा, यहां तो सूखा पड़ा है, हंस कैसे सकते हैं..

मल्लिकार्जुन खडगे ने राज्यसभा में कहा, यहां तो सूखा पड़ा है, हंस कैसे सकते हैं..

नई दिल्ली, 24 मार्च । राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान शुक्रवार को उस समय माहौल खुशनुमा हो गया जब सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में हास्य विनोद का विषय उठाते हुए एक शेर पढ़ा।

सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से हास्य विनोद बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि वाकपटुता और विनोद का अर्थ क्या है, जब आप उसे साझा ना करें। उन्होंने कहा, ताकत अपने लफ्जों में लाओ आवाज में नहीं, क्योंकि फसल बारिश से उगती है बाढ़ से नहीं।

विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि हंस कैसे सकते हैं, यहां तो सूखा पड़ा है। पूरे सदन में सूखा पड़ा है। कोई किसी की आवाज सुन नहीं रहा।

इस पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि बारिश और सूखा विधाता के हाथ में है। उसमें हम कुछ नहीं कर सकते। हम जिन मामलों में कुछ कर सकते हैं, उन पर तो सूखा ना पड़ने दें।

आगे सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वे शायद नहीं है लेकिन वे कहना चाहते हैं, इतना मत बोलो कि लोग चुप होने का इंतजार करें। इतना बोल कर चुप हो जाओ कि लोग दोबारा बोलने का इंतजार करें।

मामले की शुरुआत सदन में पेपर प्रस्तुत करने के दौरान एक मंत्री के अनुपस्थित नहीं होने को लेकर शुरू हुई थी। इस पर सभापति ने सदन के नेता को कहा कि वह सुनिश्चित करें कि संसदीय प्रक्रियाओं के दौरान सदन में जिन्हें भाग लेना है, वह उपस्थित हों और अगर उनके स्थान पर कोई और हो तो उन्हें सूचित किया जाए। इस पर पीयूष गोयल ने हामी भरी। बाद में मंत्री ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए सदन के पटल पर अपने नाम के आगे लिखे पत्रों को सभा पटल पर रखा।

राज्यसभा में पेपर प्रस्तुत करने की प्रक्रिया के बाद सदन को सूचित किया गया कि लोकसभा में विनियोग विधेयक पारित हो गया है।

इसके बाद सभापति ने सदन को सूचित किया कि उन्हें नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। प्रस्ताव को नामंजूर करते हैं। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे के चलते सदन व्यवस्थित नहीं है। इसके चलते कार्यवाही को 2:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

सियासी मियार की रिपोर्ट