हरमीत देसाई ने एशियाई खेलों के लिए एकल में चयन नहीं होने को दिया ‘अनुचित’ करार,..

नई दिल्ली।,। भारत के शीर्ष पुरुष टेबल टेनिस खिलाड़ियों में शामिल हरमीत देसाई का मानना है कि हांगझोऊ में आगामी एशियाई खेलों की एकल प्रतियोगिता से उन्हें ‘अनुचित रूप से’ बाहर कर दिया गया है। हरमीत पिछले 10 साल से भारतीय टेबल टेनिस टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उन्हें एशियाई खेलों की टीम में चुना गया है, लेकिन वह केवल टीम और मिश्रित युगल स्पर्धाओं में ही भाग लेंगे।
एशियाई खेलों में एक वर्ग में दो खिलाड़ी के प्रवेश की अनुमति है और एकल स्पर्धा के लिए अनुभवी शरत कमल और जी साथियान को हरमीत पर तरजीह दी गयी है। हरमीत ने कहा, ‘यह मेरा तीसरा एशियाई खेल होने जा रहा है और चयन मानदंडों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रदर्शन शामिल हैं। इसके अनुसार मुझे टीम और युगल के साथ एकल खेलने का भी मौका मिलना चाहिये।
सूरत के इस 29 वर्षीय खिलाड़ी ने पिछले महीने शानदार प्रदर्शन किया था जिसके बाद मंगलवार को वह भारत के सर्वोच्च रैंक वाले पुरुष एकल खिलाड़ी बन गये। वह लागोस में डब्ल्यूटीटी कंटेंडर के सेमीफाइनल और ट्यूनिस में डब्ल्यूटीटी कंटेंडर के प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे। उन्होंने इस दौरान रैंकिंग में शीर्ष -20 में शामिल दो खिलाड़ियों को भी हराया था। वह अब शरत (69) और साथियान (88) से आगे 64 वें स्थान पर हैं। भारतीय टीम का चयन 27 जून को हुआ था। उस समय हरमीत 71 वें स्थान पर थे जबकि शरत (54) और साथियान (60) उनसे आगे थे।
भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) के महासचिव कमलेश मेहता ने कहा कि चयन समिति का निर्णय सर्वसम्मत था और चयन के समय अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग के अनुसार खिलाड़ियों को एकल स्पर्धा के लिए चुना गया था। भारत के पूर्व खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता मेहता ने कहा, ‘‘यह चयनकर्ताओं द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया फैसला था, जिन्होंने चयन के समय विश्व रैंकिंग को ध्यान में रखा था।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को खिलाड़ियों की प्रविष्टियाँ जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून और एशिया ओलंपिक परिषद (ओसीए) को भेजने की अंतिम तिथि 15 जुलाई थी। हरमीत, शरत और साथियान एशियाई खेलों की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने जकार्ता में पिछले सत्र में इतिहास रचा था।
भारत ने इन खेलों में
टीम स्पर्धा में कांस्य पदक के साथ 60 साल के इंतजार को खत्म किया था। शरत और मनिका बत्रा ने मिश्रित युगल में कांस्य पदक हासिल कर इसे और यादगार बनाया था। पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों से पहले भी कई भारतीय खिलाड़ियों ने चयन में भेदभाव करने का आरोप लगाया था। भारतीय टीम में नहीं चुने जाने पर मानुष शाह, अर्चना कामथ, स्वास्तिका घोष और दीया चितले ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इनमें से हालांकि सिर्फ चितले ही टीटीएफआई के फैसले को पलटवाने में कामयाब रही।
सियासी मीयार की रिपोर्ट