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गणेश चतुर्थी (07 सितंबर) पर विशेष: श्रीगणेश का जन्म और महाभारत लेखन चतुर्थी की देन!..

गणेश चतुर्थी (07 सितंबर) पर विशेष: श्रीगणेश का जन्म और महाभारत लेखन चतुर्थी की देन!..

-डॉ श्रीगोपाल नारसन-

भगवान श्रीगणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बुधवार के दिन हुआ था।तभी से हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी या फिर गणेश जयंती मनाते हैं। महाराष्ट्र समेत पूरे भारत में गणेश चतुर्थी से 10 दिनों का गणेश उत्सव प्रारंभ होता है, इसका समापन अनंत चतुर्दशी यानी भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को होता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों पर गणपति स्थापना करके पूजन करते हैं।भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर में 03:01 बजे से लेकर 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे तक रहेगी।7 सितंबर को गणेश चतुर्थी में सूर्योदय सुबह 06:02 बजे होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जा रही है।इस दिन व्रत रखा जाएगा और गणपति की स्थापना की जाएगी।मूर्ति स्थापना और गणेश पूजा के लिए ढाई घंटे से अधिक का समय मुहर्त के अनुसार उपलब्ध है। 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा का मुहूर्त 11:03 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है।इस साल गणेश चतुर्थी की पूजा रवि और ब्रह्म योग में होगी। चतुर्थी के दिन रवि योग सुबह 06:02 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक है, वहीं ब्रह्म योग सुबह से लेकर रात 11:17 बजे तक है।यह भाद्रपद की विनायक चतुर्थी है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा करते हैं तो झूठा कलंक लग सकता है।इस दिन चन्द्रमा देखने के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण पर मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था।भगवान गणेश शुभ और समृद्धि के देवता है। सब देवों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने वाले गणपति महाराज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को धरती पर आते हैं और दस दिन के लिए निवास करते हैं।जिस दिन गणपति आते हैं, उस दिन गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। लोग घरों, पंडालों और मंदिरों में धूमधाम से गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं और दस दिन तक विधि विधान से गणपति की पूजा की जाती है।इसके बाद अनंत चौदस के दिन गणपति को धूमधाम से विसर्जित किया जाता है।गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म योग, रवि योग और ऐंद्र योग भी बन रहा है। कहा जाता है कि ये सभी योग पूजा की दृष्टि से बेहद शुभ हैं। इस योग में की गई पूजा और खरीदारी दुगना फल देती है।पौराणिक कहानियों के अनुसार महर्षि वेद व्यास के कहने पर भाद्रपद मास की चतुर्थी को गणेशजी ने महाभारत का लेखन कार्य शुरू किया था। तब महर्षि वेद व्यास ने गणेश जी को महाभारत की कहानी सुनाते रहे और गणेश जी अपनी कलम से महाभारत को लिपिबद्ध करते रहे। माना जाता है कि महाभारत लेखन में 10 दिनों का समय लगा था। 10 दिनों तक गणेश जी एक ही मुद्रा में बैठे रहे , जिससे उनका शरीर जड़वत होने के साथ शरीर पर धूल-मिट्टी की चढ़ गई थी। इस कारण गणेश जी 10 दिनों बाद नदी पर स्नान करने गए थे, उस दिन को अंनत चतुदर्शी नाम से जाना जाता है।किसी भी मांगलिक कार्य में गणेश जी को प्रथम देवता या प्रथम निमंत्रण देवता के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए गणेश चतुर्थी का दिन गणेश जी की स्तुति में विशेष माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों के काम अधूरे रह जाते हैं या काम-धंधे में तरक्की नहीं मिल पाती, उन्हें गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को घर पर जरूर लाना चाहिए।जिसे शुभ माना गया है।

(लेखक आध्यात्मिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है)

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