अदालत ने कलाकारों को आवंटित सरकारी बंगलों को खाली करने का वक्त बढ़ाने से इनकार किया..

नई दिल्ली, 04 अप्रैल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शास्त्रीय कलाकार रीटा गांगुली को सोमवार को और मोहलत देने से इनकार कर दिया। गांगुली ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें और अन्य कलाकारों को राष्ट्रीय राजधानी में आवंटित सरकारी बंगलों को अप्रैल माह के अंत तक खाली करने को कहा गया है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि वह एक दिन की भी मोहलत नहीं देंगे। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने सरकारी आवास को खाली करने के लिए दो माह का वक्त देने में पहले ही काफी उदारता दिखायी है।
अदालत ने 81 वर्षीय गांगुली के वकील को आगाह किया कि उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इस पर वकील ने अपील को वापस लेने का अनुरोध किया।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘वापस लिए जाने के तौर पर याचिका खारिज की जाती है।’’
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने मकान खाली करने के लिए केंद्र द्वारा दिये गये नोटिस के खिलाफ कई शास्त्रीय कलाकारों की अर्जियां 25 फरवरी को खारिज कर दी थीं और उन्हें यहां सरकारी आवंटित आवास दो महीने में खाली करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता कलाकारों को आवास सरकार को वापस सौंपने के लिए दो महीने की अवधि दी जाती है ताकि वे वैकल्पिक इंतजाम कर सकें और गरिमा के साथ आवासीय परिसर खाली कर दें।
गांगुली ने एकल न्यायाधीश के इस आदेश को चुनौती दी थी और आवास को खाली करने के लिए कुछ और महीनों की मोहलत मांगी थी।
केंद्र ने सरकारी परिसरों को खाली करने के लिए 31 दिसंबर 2020 तक की समय सीमा दी थी लेकिन याचिकाएं दायर होने के बाद उसके इस आदेश पर रोक लगा दी गयी थी।
अदालत ने मोहिनीअट्टम नृत्यांगना भारती शिवाजी, कुचीपुडी नर्तक गुरु वी जयराम राव, मायाधर राउत, ध्रुपद गायक उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर, रानी सिंघल, कथक विशेषज्ञ गीतांजलि लाल, के. आर. सुबाना, कमल साबरी, देवराज डाकोजी, कमलिनी, जतिन दास, पंडित भजन सोपोरी और रीता गांगुली की अर्जियों पर यह फैसला सुनाया था।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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