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शिक्षकों की हड़ताल पर हंगामे के बाद ओडिशा विस की कार्यवाही साढ़े 11 बजे तक स्थगित..

शिक्षकों की हड़ताल पर हंगामे के बाद ओडिशा विस की कार्यवाही साढ़े 11 बजे तक स्थगित..

भुवनेश्वर, । ओडिशा विधानसभा में सोमवार को विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की हड़ताल को लेकर ओडिशा विधानसभा के प्रश्नकाल को बाधित कर दिया जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष बी के अरुख को सदन की कार्यवाही साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
आज जैसे ही प्रश्नकाल के लिए सदन की कार्यवाही दूसरे दिन शुरू हुई, कांग्रेस और भाजपा के सदस्य शिक्षकों के आंदोलन के समर्थन में सदन के बीचोंबीच आ गए। विपक्ष ने शिक्षकों की मांगों को सही ठहराते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आकार नारेबाजी की और प्रश्नकाल बाधित किया।
अध्यक्ष ने विपक्ष से अपील की कि वे अपनी सीटों पर वापस जाएं और प्रश्नकाल चलने दें। उन्होंने कहा कि विपक्ष शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा सदस्यों ने सदन के बीचोंबीच में नारेबाजी जारी रखी और अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
अध्यक्ष ने इस मुद्दे को हल करने के लिए स्थगन के बाद सर्वदलीय बैठक के लिए सहमति व्यक्त की।
गौरतलब है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अपनी तीन सूत्री मांगों के समर्थन में रविवार से राज्य विधानसभा के सामने महात्मा गांधी मार्ग पर बैठे हुए हैं। शिक्षकों की मांगों में संविदा प्रणाली को समाप्त करना, पुरानी पेंशन प्रणाली को फिर से शुरू करना और उनके छह साल के शिक्षण अनुभव की गिनती कर ग्रेड वेतन में वृद्धि शामिल है।
आंदोलनकारी शिक्षकों ने धमकी दी है कि जब तक उनकी मांगें सरकार द्वारा पूरी नहीं की जाती तब तक वे महात्मा गांधी मार्ग नहीं छोड़ेंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ताराप्रसाद बाहिनीपति और भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन मांझी ने शिक्षकों की मांगों को सही ठहराया है तथा शिक्षकों के मुद्दों पर विधानसभा को पंगु बनाने की धमकी दी है। उन्होंने विधानसभा में स्कूल और जन शिक्षा मंत्री की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया और खेद व्यक्त किया कि आंदोलनकारी शिक्षकों के साथ किसी भी मंत्री ने इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की।
ऑल ओडिशा प्राइमरी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने शिक्षकों की तीन सूत्री मांगों पर विचार नहीं किया तो राज्य के सभी 54,000 प्राथमिक स्कूलों में शिक्षण का काम बंद कर दिया जाएगा।

सियासी मियार की रिपोर्ट