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विपक्षी दलों ने संसद सत्र में महंगाई, बेरोजगारी, चीन सीमा की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की.

विपक्षी दलों ने संसद सत्र में महंगाई, बेरोजगारी, चीन सीमा की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की.

नई दिल्ली, । संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों ने महंगाई, बेरोजगारी, चीन से लगी सीमा की स्थिति, कॉलेजियम के मुद्दे से जुड़ा विषय, केंद्र राज्य संबंध एवं संघीय ढांचे का विषय एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण पर अदालती फैसले सहित कुछ अन्य मुद्दों को उठाने एवं चर्चा कराने के लिये पर्याप्त समय देने की मांग की है।

संसद सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, बीजद, आप सहित 31 दलों के सदन के नेताओं ने हिस्सा। सरकार ने बैठक में आश्वस्त किया कि वह लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की अनुमति से नियमों के तहत विपक्ष के उठाये मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है।

बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ देश में आज मुद्दे ही मुद्दे हैं और विपक्ष सदन में चर्चा और सिर्फ चर्चा करना चाहता है। ऐसे में चर्चा के लिये पर्याप्त समय देकर सरकार को सदन में कामकाज का माहौल तैयार करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि देश में मुद्दों की लम्बी सूची है जिसमें महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख हैं। इसके साथ ही कॉलेजियम के विषय पर सरकार और न्यायपालिका के बीच जो स्थिति पैदा हुई है, वह भी एक विषय है।

चौधरी ने कहा कि सरकारी प्रतिष्ठानों का कथित दुरूपयोग, केंद्र राज्य संबंध एवं संघीय ढांचे पर आघात से जुड़ा भी विषय है, जिसे हम उठाना चाहेंगे ।

कांग्रेस नेता ने कहा कि चीन से लगी सीमा पर क्या स्थिति है, इसके बारे में हमें सही ढंग से जानकारी नहीं दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सत्र के दौरान इस विषय पर भी चर्चा हो।

चौधरी ने आरोप लगाया कि कश्मीर से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है, यह भी महत्वपूर्ण विषय है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो वादा किया था, और भूल सुधार करने की बात कही थी, उसे पूरा नहीं किया गया। इस विषय को भी हम सदन में उठायेंगे।

वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हमने विभिन्न दलों के सदन के नेताओं के साथ सत्र में उठाये जाने वाले विषयों के बारे में विस्तृत चर्चा की और उन्हें प्रारंभ में ही बता दिया कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की अनुमति से नियमों के तहत उनके उठाये मुद्दों पर चर्चा कराने को सरकार तैयार है।

उन्होंने कह कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में हम इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हम नियमों के तहत चर्चा कराने को पूरी तरह तैयार हैं।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि हम सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी तथा सरकारी एजेंसियों के कथित दुरूपयोग के साथ केंद्र राज्य संबंध के विषय को भी उठाना चाहते हैं और बैठक में हमने इस बारे में अपनी बात रखी है।

बीजद के डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ने सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग की है और यह विषय ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक उठाते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कॉलेजियम के मुद्दे से जुड़ा विषय भी उठायेंगे जिसका प्रभाव देखा जा रहा है। हम केंद्र राज्य संबंध से जुड़ा विषय भी उठाना चाहते हैं।

बैठक में कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस से सुदीप बंदोपाध्याय, डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक से टी.आर. बालू, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह आदि ने हिस्सा लिया। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी, संवैधानिक पदों से जुड़े मुद्दे उठाने और पेश किये जाने वाले विधेयकों पर पर्याप्त चर्चा कराने की मांग की है।

गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र सात दिसंबर से शुरू होगा और यह 29 दिसंबर को समाप्त होगा। इस सत्र में 17 बैठकें होंगी।

इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मंगलवार की शाम कार्य मंत्रणा समिति की बैठक करेंगे । इस बार उन्होंने पारंपरिक तौर पर सत्र से पहले आयोजित की जाने वाली सर्वदलीय बैठक की बजाए कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाने का निर्णय किया है। सरकार ने पिछले सप्ताह शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किये जाने वाले 16 विधेयकों की सूची जारी की थी ।

सियासी मियार की रिपोर्ट